एचाईवी और एड्स में अंतर

एचाईवी और एड्स में अंतरआज के समय में तरह तरह की लाइलाज बीमारियाँ हमारे सामने आ रही हैं जिनमे से एक हैं एचाईवी | कहते हैं आज तक इसका कोई इलाज नहीं मिला हैं और बचाव ही इसका इलाज हैं | कुछ लोग होते हैं जिन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं होती और वो एचाईवी और एड्स को एक ही समझने लगते हैं जबकि ऐसा नहीं हैं | आइये जानते हैं दोनों में क्या हैं अंतर |
एचाईवी क्या हैं ?
इसका पूरा नाम ह्यूमन इम्यूनो डिफीसीएनसी वायरस हैं | यह एक ऐसा वायरस हैं जो की शरीर में हमला करता हैं और रोगों से लड़ने की क्षमता को पूरी तरह से ख़तम कर देता हैं | कोई भी संक्रमित इंसान इससे नहीं लड़ पता हैं क्योकि यह व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मार देता हैं | यह वायरस शरीर के अन्दर जाता हैं और वाइट ब्लड सेल्स यानी की श्वेत रक्त कणिकाओ को ख़तम कर देता हैं और शरीर के अन्दर अपना एक औरा बना लेता हैं |
एचाईवी ओ भी वैज्ञानिको ने दो भागो में बाटा हैं |
एचाईवी – 1
यह एक ऐसा वायरस हैं जो की सामान्यतः पूरे विश्व में पाया जाता हैं जिससे हमारा देश भी अछूता नहीं हैं |
एचाईवी- 2
यह हर जगह नहीं पाया जाता हैं लेकिन इसके कुछ मामले भारत में और कुछ यूरोप में देखे गए हैं | यह मुख्यतः पश्चिमी आफ्रिका में पाया जाता हैं |
इसके कुछ तथ्य हैं जो आपको जरूर जानने चाहिए –
ऐसा इंसान जो की इस वायरस से प्रभावित हैं उसके शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थो में मुख्यतः वीर्य , रक्त , ब्रेस्ट मिल्क और योनी तथा गुदा से निकलने वाले पदार्थ हैं |
जब यह वायरस किसी को लगता हैं तो उस इंसान को एड्स होता हैं जिसके लक्षण दस साल में दिखते हैं | इसीलिए जांच करवा के अगर उपचार शुरू कर दिया गया तो इंसान स्वस्थ जीवन जी सकता हैं |
एक आकडे के अनुसार यह वायरस सबसे ज्यादा असुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाने से फैलता हैं |
यह वायरस संक्रमित सुई , माँ से बच्चे को या फिर संक्रमित ब्लड चढाने से भी होता हैं |
जानिये एड्स क्या हैं –
इसका अर्थ हैं एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएनसी सिंड्रोम हैं |जब एचाईवी का वायरस बहुत ज्यादा शरीर में फ़ैल जाता हैं और शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को पूरी तरह से कमजोर कर देता हैं उस स्थिति को एड्स कहते हैं | यानी की एड्स एचाईवी वायरस के कारण फैलता हैं |
एड्स को लेकर कुछ तथ्य –
यह एचाईवी की अंतिम अवस्था हैं |
किसी इंसान के ब्लड में जब श्वेत रक्त कणिकाओ की संख्या कम हो जाती हैं और यह संख्या 200 सेल्स प्रतिमिली से भी कम हो जाए तो उस स्थिति में इंसान को एड्स हुआ हैं |
जिसे एड्स होता हैं उसे बुखार , खांसी , जुखाम टीबी आमतौर पे होता रहता हैं |
अभी तक साइंस की दुनिया में इसका कोई इलाज नहीं हैं केवल सतर्कता ही इसका इलाज हैं जिससे आप सुरक्षित रह सकते हैं |
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